लोकसभा चुनाव 2024 : कांग्रेस का 1952 से 2019 चुनावों में प्रदर्शन कैसा रहा?

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लोकसभा चुनाव 2024 शुरू हो चुका है और पहले चरण की वोटिंग 21 राज्यों में हो चुकी है| आगामी चरण अप्रैल 26, मई 7,13,20,25 और 1 जून को है| सत्तारूढ़ एन डी ए 400 सीटों से ज़्यादा जीतकर तीसरी बार सत्ता में आने के लिए जी जान से लगी हुई है|

वहीँ विपक्षी पार्टियों का ‘इंडिया’ गठबंधन भाजपा को हराने के लिए एकजुट हो चुका है| इस गठबंधन का सदस्य कांग्रेस भी है, जिसने स्वतंत्रता के बाद सबसे लम्बे समय तक भारत पर शासन किया| हालाँकि कांग्रेस की हालत ठीक नहीं है और पार्टी हाल के दिनों में काफी संघर्ष कर रही है|

आइए देखते हैं कांग्रेस का पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 तक कैसा प्रदर्शन रहा:-

1951-52 लोकसभा चुनाव
देश में पहले आम चुनाव 1951- 52 में हुए थे| यह संविधान के अमल में आने के बाद का पहला चुनाव था| प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने 489 सीटों में से 364 सीटें हासिल की थी| नेहरू खुद इलाहबाद से जीतकर लोकसभा पहुँचे थे|

1957 लोकसभा चुनाव
पाँच साल पहले हुए सफल चुनाव के बाद 1957 में दुसरे आम चुनाव हुए| कांग्रेस इस बार 371 सीटें जीतकर एक बार फिर नेहरू के नेतृत्व में सत्ता पर काबिज़ रही| जवाहरलाल नेहरू इस बार फूलपुर से चुनाव जीते थे|

1962 लोकसभा चुनाव
इस साल भारत में तीसरे चुनाव हुए थे| आज़ादी की पंद्रहवी सालगिरह के वर्ष हुए चुनाव में नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस 361 सीटें जीती और सत्ता पर तीसरी बार काबिज़ रही| नेहरू ने फूलपुर से लड़े गए अपने चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के दिग्गज नेता राममनोहर लोहिया को हराया था| यह चुनाव चीन से बढ़ रहे तनाव के बीच में हुआ था| उसी साल 20 अक्टूबर को कम्युनिस्ट चीन ने लदाख और नेफा में हमला कर युद्ध का आगाज़ कर दिया| एक महीने चले इस युद्ध में भारत को पराजय मिली थी|

1967 लोकसभा चुनाव
भारत-चीन युद्ध के दो साल बाद 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया| उनके बाद गुलज़ारी लाल नंदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने| आख़िरकार कांग्रेस ने लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर मुहर लगाई और वह प्रधानमंत्री बने| शास्त्री के कार्यकाल में 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ| आख़िरकार 10 जनवरी 1966 को शास्त्री पाकिस्तान के सैन्य शासक अयूब खान से ताशकंद में मिले और दोनों के बीच शांति समझौता हुआ| अचानक शास्त्री की उस रात ताशकंद में मृत्यु हो गई| उनके अकस्मात् निधन के बाद कांग्रेस में एक बार फिर उनके उत्तराधिकारी को ढूंढ़ने की कवायद शुरू हुई| आख़िरकार कांग्रेस के सिंडिकेट गुट ने नेहरू की बेटी और सुचना और प्रसारण मंत्री इंदिरा गाँधी को चुना| वह देश की पहली और आजतक भारत की एकलौती महिला प्रधानमंत्री हैं|

इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल बाद 1967 में देश में आम चुनाव हुए| कांग्रेस 283 सीटें जीतकर सत्ता में बनी रही मगर उसका वर्चस्व अब पहले की तरह नहीं रहा| इस चुनाव में कई राज्यों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा|

1971 लोकसभा चुनाव
बैंकों के राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रपति चुनाव में मतभेद के कारण कांग्रेस के सिंडिकेट गुट ने इंदिरा गाँधी को 1969 में पार्टी से निष्कासित कर दिया| इंदिरा कांग्रेस के अधिकांश सांसदों को अपने पक्ष में करने में सफल हुई और उन्होंने अपना नया कांग्रेस (आर) बनाया| दो साल बाद 1971 में आम चुनाव की घोषणा हुई| कांग्रेस का सिंडिकेट दल अपने आप को कांग्रेस (ओ) कहता था| विपक्ष ने ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा देकर इंदिरा को चुनौती दी| वहीँ इंदिरा ने ‘गरीबी हटाओ’ नारे से अपने समाजवादी नीतियों से वोटरों का दिल और वोट जीतने में सफलता पाई| जब चुनाव के परिणाम आए तो विपक्ष के पाँव तले ज़मीन खिसक गई| इंदिरा की कांग्रेस को 352 सीटें मिली|

1977 लोकसभा चुनाव
दिसंबर 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के निर्माण के बाद इंदिरा गाँधी की लोकप्रियता अपने चरम पर थी| लेकिन 1973 आते आते बेरोज़गारी, महंगाई के कारण उनका विरोध होने लगा| उसके बाद आया 1975 में एक अदालती फैसला जिसने इंदिरा के खिलाफ विपक्ष को नया हथियार दे दिया| तत्कालीन प्रधानमंत्री पर अपने 1971 के लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली में सरकारी संसाधनों के दुरूपयोग के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए उनकी लोकसभा सदस्यता को अयोग्य ठहरा दिया|

1977 Lok Sabha elections: इमरजेंसी विरोधी लहर में Indira Gandhi खुद भी चुनाव हार गयीं

परस्पर विरोध के बीच इंदिरा गाँधी ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को कहकर देश में अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल लगा दिया| कई विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया| हड़ताल पर प्रतिबन्ध लग गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दिया| लगभग 18 महीने चली इमरजेंसी के बाद उसे हटाया गया और आम चुनाव हुए| कांग्रेस 154 सीटें पाकर सत्ता से बाहर हो गई| वहीँ जनता पार्टी 295 सीटें जीतकर मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनाई|

1980 लोकसभा चुनाव
जनता पार्टी की दो सरकारें अंतरकलह के कारण गिर गई और देश में एक बार फिर चुनाव हुए| इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस (आई) 353 सीटें जीतकर एक बार फिर सत्ता में आई| वही जनता पार्टी 31 और चौधरी चरण सिंह की जनता दल सेक्युलर सिर्फ 41 सीटें जीत सकी|

1984 लोकसभा चुनाव
ऑपरेशन ब्लूस्टार के महज़ चार महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गाँधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी| आनन् फानन में उनके ज्येष्ठ पुत्र राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया गया| इंदिरा गाँधी की हत्या के पश्चात् सिख विरोधी दंगे भड़क उठे और कई लोग दिल्ली में मारे गए| उसी साल देश में आम चुनाव कराए गए और इंदिरा गाँधी की मृत्यु के पश्चात् उठी सहानुभूति की लहर में कांग्रेस 404 सीटें जीत गई| यह भारत के इतिहास में किसी भी पार्टी द्वारा जीती जाने वाली सबसे ज़्यादा सीटें थी| राजीव गाँधी एक बार फिर प्रधानमंत्री बन गए|

1989 लोकसभा चुनाव
राजीव गाँधी का प्रधानमंत्री का कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण था| ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद पंजाब में हालत काफी तनावपूर्ण थे| वहीँ नार्थईस्ट में भी अलगाववाद अपने चरम पर था| उसके बाद 1987 में जम्मू और कश्मीर के विधानसभा चुनाव में हुई कथित धांधली के बाद हालात काफी बिगड़ गए | इसके एक साल पहले कांग्रेस शाह बानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद द्वारा बदल देने पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप झेल रही थी| उसके बाद बोफोर्स तोप घोटाले में राजीव गाँधी का नाम आया| साल 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 197 सीटें जीत पाई| वी पी सिंह के नेतृत्व में जनता दल ने सरकार बनाई जिसे भाजपा और वामदलों ने बाहर से समर्थन दिया|

1991 लोकसभा चुनाव
राजीव गाँधी ने चंद्रशेकर पर उनकी जासूसी करवाने का आरोप लगाया और कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया| चंद्रशेखर ने इस्तीफ़ा दे दिया और देश में आम चुनाव हुए| चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गाँधी की चेन्नई से थोड़ी दूर श्रीपेरुम्ब्दूर में लिट्टे द्वारा एक सुसाइड बॉम्बर हमले में हत्या हो गई| कांग्रेस ने 232 जीती और कुछ और दलों के समर्थन से पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में पाँच साल सरकार चलाई|

1996 लोकसभा चुनाव
अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन भाजपा के लिए वरदान साबित हुआ और पार्टी 1996 के लोकसभा चुनाव में 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी | हालाँकि भाजपा बहुमत नहीं जुटा पाई और एन डी ए की सरकार मात्र 13 दिनों में गिर गई| कांग्रेस ने इस चुनाव में 140 सीटें जीती | जनता दल, समाजवादी पार्टी, द्रमुक समेत 13 पार्टियों ने यूनाइटेड फ्रंट गठबंधन बनाया और एच डी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बनाए गए| सीताराम केसरी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया| हालांकि देवेगौड़ा की सरकार एक साल में ही गिर गई और इन्द्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने| 1997 के नवम्बर में जैन कमीशन की रिपोर्ट आई और द्रमुक पर राजीव गाँधी की हत्या के दोषी श्रीलंकन आतंकवादी संगठन लिट्टे के साथ सम्बन्ध होने का आरोप लगा| कांग्रेस ने गुजराल को अपने कैबिनेट से द्रमुक मंत्रियों को निकालने की मांग की| गुजराल के मना करने पर कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और गुजराल की सरकार गिर गई|

1998 लोकसभा चुनाव
देश में आम चुनाव हुए और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए ने 182 सीटें जीतकर सरकार बनाई| कांग्रेस उस चुनाव में महज़ 141 सीटें ही जीत पाई| पार्टी में बड़ा बदलाव आया और सीताराम केसरी को हटा सोनिया गाँधी को अध्यक्ष बनाया गया|

1999 लोकसभा चुनाव
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 महीने के बाद अप्रैल 1999 में गिर गई| हालांकि देश में आम चुनाव कारगिल युद्ध के कुछ महीनों बाद सितम्बर में हुए| कारगिल विजय के बाद भाजपा 182 सीटें दोबारा जीती और एन डी ए की सरकार फिर बनी जो पूरे पाँच साल चली| कांग्रेस को सिर्फ 114 सीटें ही मिली|

2004 लोकसभा चुनाव
नवम्बर-दिसंबर 2003 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत मिली थी और पार्टी का आत्मविश्वास चरम पर था| ‘इंडिया शाइनिंग’ का नारा देते हुए वाजपेयी ने समय से पहले लोकसभा भंग करवा दिया और आम चुनावों की घोषणा हुई| तमाम एग्जिट पोल एन डी ए की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी कर रहे थे|

लेकिन 13 मई 2004 को आए चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया| कांग्रेस 145 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी जबकि भाजपा को सिर्फ 138 सीटें ही मिली| कांग्रेस ने राजद, राकांपा, द्रमुक और कई क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया| वाम दलों ने बाहर से समर्थन किया और लम्बे समय के बाद डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार बनाई|

2009 लोकसभा चुनाव
साल 2008 के जुलाई में वाम दलों ने कांग्रेस नेतृत्व की यु पी ए सरकार से अमेरिका से परमाणु डील के मुद्दे पर समर्थन वापस लिया| समाजवादी पार्टी की मदद से कांग्रेस विश्वास मत जीत गई| अगले साल अप्रैल मई में लोकसभा चुनाव हुए और कांग्रेस 206 सीटें जीती| यह 1991 के बाद कांग्रेस का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था|

2014 लोकसभा चुनाव
यूपीए का दूसरा कार्यकाल घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों के लिए कुख्यात रहा| कामनवेल्थ गेम घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोलगेट घोटालों से सप्रंग सरकार की काफी किरकिरी हुई| साल 2011 में कांग्रेस को समाजसेवी अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को झेलना पड़ा जो पूरे देश में लोकप्रिय हो गया| साल 2013 में भाजपा ने पार्टी के अंदर विरोध के बावजूद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उमीदवार बनाया| भाजपा ने ‘अच्छे दिन अब आएंगे’ और ‘आपकी बार मोदी सरकार’ का नारा दिया और मोदी के नेतृत्व में 282 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया| वहीँ कांग्रेस अपने इतिहास में पहली बार 50 से कम मात्र 44 सीटें जीत पाई|

2019 लोकसभा चुनाव
साल 2019 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए अग्नि परीक्षा की तरह था| छह महीने पहले ही भाजपा को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार मिली थी और विपक्ष इस बार उलटफेर के लिए आश्वस्त था| इसी बीच 14 फरवरी को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में पाकिस्तान के जैश-ए-मुहम्मद नामक आतंकी संगठन के आत्मघाती हमले में 40 सी आर पी एफ जवान शहीद हो गए| इसके बदले भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी की सुबह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर दिया|

मोदी सरकार की आतंकवादी हमले के खिलाफ सख्त कार्यवाई की पूरे भारत में प्रशंसा हुई और भाजपा 303 सीटें जीतकर एक बार फिर सत्ता में आ गई| कांग्रेस ने अपने 2014 के प्रदर्शन को सुधारा लेकिन सिर्फ 52 सीटें ही जीत पाई| खुद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अमेठी से चुनाव हार गए|

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