अमेठी उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक है| यहाँ आम चुनाव के लिए मतदान पांचवे चरण में २० मई को होने हैं| वर्तमान में यहाँ से सांसद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी हैं| भारतीय जनता पार्टी ने उनको तीसरी बार यहाँ से चुनावी मैदान में उतारा है| अभी तक कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है|
अमेठी सीट का इतिहास
अमेठी लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र हैं- तिलोई, गौरीगंज, जगदीशपुर (आरक्षित), सालोन (आरक्षित) और अमेठी| यह सीट 1967 में बनाया गया था और उस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी सांसद बने थे| उन्होंने भारतीय जनसंघ के जी प्रसाद को हराया था|
1971 चुनाव में इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था| अमेठी में विद्याधर बाजपेयी 62 प्रतिशत वोट के साथ लोकसभा में पहुंचे| उन्होंने जनसंघ के गोकुल प्रसाद पाठक को हराया|
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लेकिन 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गयी| इमरजेंसी विरोधी लहर का जनता पार्टी को फायदा मिला और वह 295 सीटों के साथ विजयी हुई| जहाँ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी रायबरेली से चुनाव हार गयीं, उनके छोटे बेटे संजय गाँधी को अमेठी से करारी शिकस्त मिली| उन्हें भारतीय लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह ने हराया था|
लेकिन जनता पार्टी के दो बार सरकार चलाने के असफल प्रयास के बाद 1979-80 में आम चुनाव कराए गए और कांग्रेस एक बार फिर विजयी हुई| अमेठी से संजय गाँधी ने 1977 का बदला लेते हुए रवींद्र प्रताप सिंह को हरा दिया|
लेकिन उसी साल संजय गाँधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी| 1981 में उपचुनाव हुए और उनके बड़े भाई राजीव गाँधी ने यह सीट जीत कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया| तीन साल बाद इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद राजीव भारत के प्रधानमंत्री बने|
इंदिरा गाँधी की मृत्यु के पश्चात् हुए आम चुनाव में कांग्रेस 404 सीट जीतकर एक बार फिर सत्ता में आई| भारत के लोकतंत्र के इतिहास में यह किसी भी पार्टी द्वारा सबसे ज़्यादा सीट जीतने का रिकॉर्ड है| अमेठी से राजीव गाँधी ने 83 प्रतिशत वोट हासिल कर अपनी भाभी मेनका गाँधी को साढ़े तीन लाख वोटों के अंतर से हराया|
इसके बाद साल आया 1989 और राजीव गाँधी की कांग्रेस को 197 सीटें मिली, 1984 के मुक़ाबले आधा आंकड़ा| केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में नेशनल फ्रंट की सरकार बनी| अमेठी में राजीव गाँधी 67 प्रतिशत वोट से जीतने में सफल हो गए|
साल 1991 में चंद्रशेखर की सरकार गिर गयी और आम चुनाव हुए| परन्तु चुनाव प्रचार के बीच राजीव गाँधी की एक एलटीटीई द्वारा भेजे गए एक मानव बम के हाथों हत्या कर दी गयी| कांग्रेस 232 सीटें जीतने में सफल हुई और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सरकार बनाई|अमेठी से राजीव गाँधी विजयी घोषित हुए| उन्होंने भाजपा के रवींद्र प्रताप को हराया था|
1996 में भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी| अटल बिहारी वाजपयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी लेकिन वह बहुमत के अभाव में 13 दिन में ही गिर गयी| उसके बाद विपक्ष की कई पार्टियों ने मिलकर कांग्रेस के समर्थन से यूनाइटेड फ्रंट सरकार बनाया| इस चुनाव में कांग्रेस ने सतीश शर्मा को चुनाव में उतारा, जो 38 प्रतिशत वोटों से यह सीट जीतने में सफल रहे|
1998 में भारतीय जनता पार्टी 182 सीटों से साथ एक बार फिर लोकसभा में सबसे बड़े दल बनी| वाजपेयी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने और यह सरकार 13 महीने चली| अमेठी में भारतीय जनता पार्टी के संजय सिंह ने कांग्रेस सांसद सतीश शर्मा को हरा दिया| यह 18 साल में कांग्रेस की इस सीट पर पहली हार थी|
साल 1999 में देश में एक बार फिर आम चुनाव हुए| वाजपेयी को कारगिल युद्ध में निर्णायक विजय का फायदा मिला और एक बार फिर एनडीए की सरकार बनी| अमेठी में इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया गाँधी ने सक्रिय राजनीति में दो साल पहले प्रवेश कर लिया था और कांग्रेस अध्यक्ष बनाई गयीं थी| सोनिया ने अमेठी में संजय सिंह को हराकर अमेठी को एक बार फिर कांग्रेस के पाले में डालने में सफलता हासिल की थी|
उसके बाद आया 2004| वाजपेयी की ‘इंडिया शाइनिंग’ कैंपेन असफल रहा और भाजपा 138 सीटों पर सिमट गयी| कांग्रेस ने तमाम सर्वे और एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए 145 सीटें जीतकर राजद, लोजपा और राकांपा के साथ सरकार बना लिया| वाम दलों ने कांग्रेस नेतृत्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार को बाहर से समर्थन दिया| इस चुनाव में सोनिया और राजीव के पुत्र राहुल गाँधी का राजनीति में आगमन हुआ| तब 34 वर्षीय राहुल अमेठी से बहुजन समाज पार्टी के चंद्र प्रकाश मिश्रा को तीन लाख वोटों से हराकर सांसद बने| 2009 में भी राहुल यहाँ से दोबारा चुने गए|
2014 में भारतीय जनता पार्टी ने स्मृति ईरानी को अमेठी से चुनाव मैदान में उतारा| ईरानी ने 2004 में दिल्ली के चांदनी चौक में अपना पहला चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल से हार गयी थीं| हालाँकि राहुल यह चुनाव एक बार फिर जीत गए लेकिन उनकी जीत का अंतर सिर्फ १ लाख वोट का रह गया|
2019 में भाजपा ने एक बार फिर स्मृति ईरानी को चुनाव मैदान में उतारा| राहुल इस बार अमेठी के साथ साथ केरल के वायनाड से चुनाव लड़े| इतिहास रचते हुए स्मृति ईरानी ने राहुल को 50,000 वोटों से ज़्यादा के अंतर से हरा दिया|
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