रायबरेली में लोकसभा चुनाव 2024 का मतदान पांचवे चरण में 20 मई को होगा| यहाँ से राहुल गाँधी अपनी माँ सोनिया गाँधी की जगह लड़ रहे हैं| रायबरेली के अलावा राहुल केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़े थे जहाँ वोटिंग 26 अप्रैल को हुआ था|
रायबरेली दशकों से गाँधी परिवार का गढ़ रहा है| यहाँ से फ़िरोज़ गाँधी, इंदिरा गाँधी और सोनिया गाँधी चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं| पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गाँधी ने भारतीय जनता पार्टी के दिनेश प्रताप सिंह को दो लाख वोटों से ज़्यादा के अंतर से हराया था| इस बार सोनिया गाँधी ने चुनाव नहीं लड़ने के फैसला किया और राजस्थान से राज्य सभा के लिए चुनी गईं|
पिछले लोकसभा चुनाव में रायबरेली उत्तर प्रदेश की एकलौती सीट थी जहाँ कांग्रेस को जीत मिली थी| राहुल गाँधी अमेठी से 15 साल सांसद रहने के बाद केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी के हाथों चुनाव हार गए थे|
अमेठी लोकसभा चुनाव 2024: क्या स्मृति ईरानी इस बार भी 2019 की विजय को दोहरा पाएंगी?
रायबरेली लोकसभा चुनाव का इतिहास
रायबरेली लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र हैं- बछरावां (आरक्षित), हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार|
1952 में हुए पहले आम चुनाव में इस सीट पर फ़िरोज़ गाँधी और बैज नाथ कुरील विजयी हुए थे| पांच साल बाद हुए आम चुनावों में फ़िरोज़ गाँधी ने एक बार फिर यह सीट जीता| साल 1960 में फ़िरोज़ गाँधी की मृत्यु हो गयी|
साल 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बैज नाथ कुरील ने जनसंघ प्रत्याशी तारावती को हराया| कुरील को 77435 वोट जबकि तारावती को 63167 वोट मिले|
साल 1967 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने रायबरेली से चुनाव लड़कर इस सीट को गाँधी परिवार से जोड़ दिया| इंदिरा गाँधी ने निर्दलीय प्रत्याशी बी सी सेठ को हराया|
साल 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी ने सोशलिस्ट पार्टी के राज नारायण को हराया| यह चुनाव चार साल बाद विवादों में आ गया जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गाँधी पर सरकारी तंत्रों के दुरूपयोग के आरोप में दोषी ठहरा कर उनकी लोकसभा सदस्यता को अयोग्य ठहरा दिया| इस फैसले के बाद घटनाक्रम में देश में आपातकाल लगा दिया गया जो 18 महीने चला|
इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गयी| रायबरेली में इंदिरा गाँधी चुनाव हारने वाली पहली प्रधानमंत्री बनीं| उन्हें राज नारायण ने 55,202 वोटों से हराया|
साल 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में एक बार फिर सत्ता में आ गई| खुद इंदिरा गाँधी अविभाजित आंध्र प्रदेश के मेदक और रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीत गई| मेदक में उन्होंने जनता पार्टी के जयपाल रेड्डी को हराया जबकि रायबरेली में इंदिरा गाँधी ने जनता पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ रहीं विजयराजे सिंधिया को हराया|
साल 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुत मिला| रायबरेली में कांग्रेस के अरुण कुमार नेहरू सत्तर प्रतिशत वोट पाकर जीत गए|
साल 1989 में कांग्रेस की तरफ से शीला कौल चुनाव में उतरीं| उन्होंने जनता दल के राजेंद्र प्रताप सिंह को हराया| वह रिश्ते में इंदिरा गाँधी की मामी थीं|
साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में शीला कौल एक बार फिर जीतने में सफल रहीं| इस चुनाव के बीच राजीव गाँधी की श्रीपेरुम्बुदुर में एक बम धमाके में हत्या हो गई थी| अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के दबदबे को रोक यहाँ जीत हासिल की| यहाँ भाजपा के अशोक सिंह ने जनता दल के अशोक सिंह को हरा दिया| कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम कौल चौथे स्थान पर रहे|
साल 1998 में मध्यावधि लोकसभा चुनाव हुए और कांग्रेस इस बार सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में चुनाव लड़ी | भाजपा के अशोक सिंह ने अपना दूसरा लगातार चुनाव जीता| साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कभी राजीव गाँधी के दोस्त रहे कैप्टन सतीश शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा| उन्होंने सपा के गजाधर सिंह को हराया|
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस लम्बे इंतज़ार के बाद सत्ता में आई और यूपीए गठबंधन की प्रमुख घटक दल बनी| सोनिया गाँधी ने यहाँ से पहली बार चुनाव लड़ा और ढाई लाख वोटों से जीत गई| यहाँ से सोनिया गाँधी 2009 , 2014 और 2019 में विजयी हुई| साल 2006 में ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट मामले में विवाद होने पर सोनिया गाँधी ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् और अपनी सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था|
बाद में उन्होंने उपचुनाव में चार लाख वोटों से ज़्यादा के अंतर से जीत हासिल की|
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